निरक्षर कवि|| गौतम पात्र ||कविता-गोपनीय ||Sushant Singh Rajput��|| R.I.P||
गोपनीय मन की गहमा गहमी में हर उत्कंठा व्यर्थ नज़र आया होगा नामचीन स्मृतियों के गहन अध्यन से निराशा ही पाया होगा कितने दिन और कितनी राते वो अशांत आँखे भीगी होंगी मगज़ में चल रही चीखो से ज़रूर वो खुब घबराया होगा उदासी भरी बातें उसने अपने परिजनों से ज़रूर की होंगी , इलाज़ के बावजूद उसने असहाय महसूस किया होगा , कितना ज़ेहमत उसने खुद में छुपाया होगा , वो गफलत करने का मज़ाल भी यूँ नहीं आया होगा , कोई तो बात होगी जो मनोरोग से पीड़ित होकर उसने जीवन पे अंकुश लगाया होगा वो गोपनीय बाते क्या थी जिसने 50 सपनो को पूरा करने का गंतव्य ही रद्द कर दिया वो गोपनीय तन्हाई कौनसी थी जिसने एक उभरते हुए सितारे को लाश बनने पर विवश कर दिया अकेलेपन के साये ने डर की सिमा को बढ़ाया होगा सच्चे जीवन संगिनी की तलाश में हर बार दगा ही पाया होगा , उनकी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा पे ज़रूर कुछ स्वार्थी लोगो ने आरोप लगाया होगा , उनके हालातो पर हो सकता है कुछ लोगो ने मज़ाक उड़ाया होगा , वो गफलत करने का मज़ाल भी यूँ नहीं आया होगा , कोई तो बात होगी जो मनोरोग से पीड़