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नलका

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                                         नलका नदियों के पास धरतीवासियो  की प्यास बुझाने के लिए खूब  पानी  है, परन्तु नदियों के पास मनुष्यों का स्वार्थ बुझाने के लिए  पानी कम हो गया है , नदियाँ थक गयी है कचरा कचरा लेते , ये बात सबको क्यों लगती मानहानि है , आने वाली पुश्तो के लिए ही सही कुछ तो बचाओ , गंगा नहीं तो यमुना नहीं तो सरस्वती ,जलाशयों, कुंडों और तलाबों के साथ अब बोरवेल भी असक्षम हो गया है , नलका एक दिन चुप हो जाएगा हमेशा के लिए  फिर कोई प्लम्बर भी  उसे ठीक नहीं कर पायेगा गले की ठंडक से अधिक कई और मेहेत्व्पूर्ण  कार्य में जल , जल रहा है , पिने का पानी ख़तम  होने की कगार पर है पर  हल कहा है  कही समुन्दर  पे तो नज़र नहीं , कहा हल कहा है  जागरूक है सभी ,  जल को बचाने के लिए  कार्यरत कहा है , हर रोज बिछी हुई इंसानी लाशें लेकर घुमती रहती है नहरे . इतने अभियान चलाते हो , ये सभी कार्यगत कहा है  नलका एक दिन चुप हो जाएगा हमेशा के लिए  फिर कोई प्लम्बर भी  उसे ठीक नहीं कर पायेगा                           - गौतम पात्र f - 3: 17 am

निरक्षर कवि|| गौतम पात्र ||कविता-गोपनीय ||Sushant Singh Rajput��|| R.I.P||

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                                                          गोपनीय  मन  की गहमा गहमी में हर उत्कंठा व्यर्थ नज़र आया होगा  नामचीन स्मृतियों के गहन अध्यन से निराशा ही पाया होगा  कितने  दिन  और कितनी राते  वो अशांत  आँखे भीगी होंगी  मगज़ में चल रही चीखो से ज़रूर वो खुब घबराया होगा  उदासी भरी बातें उसने अपने परिजनों से ज़रूर  की होंगी , इलाज़ के बावजूद उसने असहाय महसूस किया होगा , कितना ज़ेहमत उसने खुद में छुपाया होगा , वो गफलत करने का मज़ाल भी यूँ नहीं आया होगा , कोई तो बात होगी जो मनोरोग से पीड़ित होकर उसने जीवन पे  अंकुश लगाया होगा  वो गोपनीय बाते क्या थी  जिसने 50 सपनो को पूरा करने का गंतव्य ही रद्द कर दिया  वो गोपनीय तन्हाई कौनसी थी  जिसने एक उभरते हुए सितारे को लाश बनने पर विवश  कर दिया  अकेलेपन के साये ने  डर  की सिमा को बढ़ाया होगा  सच्चे जीवन संगिनी  की तलाश में हर बार दगा  ही पाया होगा , उनकी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा पे ज़रूर कुछ स्वार्थी  लोगो ने आरोप लगाया होगा , उनके हालातो  पर  हो सकता है कुछ लोगो ने मज़ाक उड़ाया होगा , वो गफलत करने का मज़ाल भी यूँ नहीं आया होगा , कोई तो बात होगी जो मनोरोग से पीड़

निरक्षर कवि|| गौतम पात्र ||कविता-शय्या ||

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                  निरक्षर कवि जून 7 2 मिनट पठन शय्या शय्या हमारे  दिनचर्य की गतिविधियों से कलेवर  में जब  शिथिलता आने लगती है, दर्द से कराह रही अंगो की सुचना लेकर जब थकान आखो तक पहुँचती है , निद्रा की रसायन से हमें घोर विश्राम का आगमन जब पलके बार बार देने लगती है , थक हार कर जब बुद्धि भी  उन सबकी बातें स्वीकार करने लगती है , कलेवर जब कुछ भी करने की स्थिति में नहीं होता ,   ऐसी परिस्तिथि में  शय्या ही इस गंभीर थकान  का उपचार करती है  जब हर एक अंग मानो बेजान होकर शय्या की शरण में लेट जाता है , मुलायम गद्दा जब हर एक अंग का दर्द मानो खींच लेता है , निद्रा अवस्था में तकिया भी मानो सर की मालिश करता है , जब ठंडी हवाएं मानो लोरियाँ सुनाकर थकान पे मरहम लगाती है , कमरे में मौजूद अँधेरा भी जब नींद का आश्वासन देता है , न जाने किस प्रकार ये सब करती है , कलेवर जब कुछ भी करने की स्थिति में नहीं होता ,   ऐसी परिस्तिथि में  शय्या ही इस गंभीर थकान  का उपचार करती है निद्रा में लीन होते हुए भी  जब शय्या की गोदी में बार बार उलट पलट ये काया  होती है , तब भी शय्या अपनी पूरी क्षमता के साथ नींद की अवस्था

निरक्षर कवि|| गौतम पात्र || परिचय ||

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                       निरक्षर कवि    नमस्कार! दोस्तों मेरा नाम है गौतम पात्र उर्फ़ निरक्षर कवि ,स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग पर , आपको इस ब्लोग्स में मेरे सभी कवितायों के बोल लिखित रूप में मिल जाएंगे ,आप आसानी से पढ़ भी सकते है , उम्मीद करता हु आप सभी मेरी कवितायों  को पढ़ेंगे और मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा देंगे   |  😊